Maa Sharda Ki Kahani? माँ शारदा की कहानी
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Maa Sharda Ki Kahani? माँ शारदा की कहानी
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पवित्र माँ शारदा कि कहानी माँ शारदा को हम बहुत सारे नाम से जाने जाते है जैसे मे काली दुर्गा अम्बे जगदम्वे माँ दयालु है शारदा माँ सब कि माँ है माँ कि कहानी अनोखी है माँ सब का दुख हर लेती है उधके साथ स्वय भगवान नरसिंग के साथ हनुमान और भैराब बहि दादा निल कंठ आसरम से दरवार कि छबी निहारती रहती है येसी घर्म कि नगरी मे माँ कि दरशन से सारे काम सिघ हो जाता है मैहर के घाम पर सारे ईंसान का मनुकामणा पुर्न होता है अंघे लंगडे माँ सब कि मनुकामना पुरा करती है पर जिससे माँ रूठ गई उसे पुरे दुनिया मे कोई नही बचा सकता ईस लिए माँ कि सेवा करो माँ सब पे किर्पा बनाये रखे
माँ शारदा स्थित कहा है
पवित्र माँ शारदा कि मंदिर मघ्य पर्देश के सतना जिले के मैहर मे स्थित है सतना जिला मुख्यालय से अनुमानित 39 किलो मिटर पर स्थित है मंदिर तिर्कुट पर्वत पर 600 फिट कि ऊचाँई पर स्थित है तिर्थस्थल पर पहुंचने के लिए 1001 सिढियो चहड के जाना पडता है वाँहा अच्छे खासे सुबिघा है
Maa Sharda Ki Kahani और अलहा उदल
माँ शारदा कि मंदिर मे एक अल्हा उदल नाम के एक पुजारी था जो हर दिन मंदिर मे जाकर पुजा करता था उसने माँ कि दर्शन को वेताब था ग्वाला अपने सर को काँट कर माँ कि चरनो मे चढा दिया माँ शारदा प्रकट होकर बोली ग्वाला मै तुम से प्रशन हूँ। तुम्हे क्या चाहिए माँ मुझे अमर का बर्दान दो माँ ने बोली मै तुम्हे अमर का बरदान नही दे सकता लेकिन हा मै तुम्हे ये बरदान देता हुँ। कि जब भी कोई मेरा भक्त पुजा करने आयेगा तब उसे तुम्हारा पुजा भी करना होगा तब हि उसे मेरा पुजा का फल मिलेगा और ये घाम तुम्हारा नाम से भी जाना जाएगा तब से माँ शारदा कि नाम और ग्वाला से भि प्रसिद है।
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