सुखी जिवन का रहस्य  अगर आप ईस सबाल का जबाब चाहते है। तो आपको ईसे पढना चाहिये जिवन बहुत लम्बा होता अगर उसके सत्य को स्वीकार लीया जाए जिवन क्षन भर मे बित जाता है।  ईस पोस्ट को पढ कर ईसका महत्ब समझ मे आ जायगा आपको पता चलेगा कि जिवन का  अमुल्य ग्याण भी कभी कभी छोट से साघारण ईंसान से मिल जाता है। कभी कभी छोटे मुलाकात भी जिवन को बदल देता है। ग्याण होकर भी हमे कुछ पता नही चलता  सुखी जिवन का रहस्य एक महान सांत हुआ करते थे जो स्वय का आक्षम बनना चाहते थे जिसके लिय वो कई लोगो से मुलाकात करते थे एक जगह से दुसरे जगह जाना पडता था ईसी यात्रा के दोरान एक कन्या बिदुषी से हुई विदूषी ने उनका स्वागत किया और संत से कुछ समय रूक कर आराम करने का आगरा किया संत उनके मिठे बोल बिचार से रूकने का निर्नय लिया  विदुषि ने अपने हाथो का स्वादिस्ट भोजन कराया और उनके अराम करने का बेबस्ता किया खटियाँ पर दरी बिछाया और अपने जमिन पर चटाई बिछा कर शो गई विदुषी को सोते हि निंद आ गईऋ

प्रकृतिक के तिन गूण.रजगुण.सतगुण.तमगुण?

 प्रकृतिक के तिन गूण /रजगुण.सतगुण.तमगुण
श्रीमद भगवदगीता?




प्रकृति के तीन गुण सतगुण.रजगुण.तमगुण की परिभाषा
प्रकृति  क्या हे ? प्र = विशेष और कृति = किया गया। 


प्रकृतिक के तिन गूण /रजगुण.सतगुण.तमगुण 

प्रकृतिक से उत्पन्न हुए हैं तथा नाशावान है 

(प्रमाण) गीताप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित क्षी शिव महापुरुष जिसके सम्पादक है हनूमान प्रसाद पो. सं ११० अघ्याय ९ रूद संहित ईस प्रकार विष्णु तथा शिव तिनो देवताः मे गुण है परन्तु शिव महाकाल गुणातीतः कहा गया है 




गिताप्रैस गोरखपुर प्रकाशिक देवी भगत पूराण जिसके सम्पादक हनुमान प्रसाद चिमन लाल गोस्वामी भगवान विष्णु ने दुर्गा कि स्तृति कि कहा कि मै( विष्णु) तुम्हारी कृपा से विघमान है  




हमारा तो आशीर्वाद तथा तिरोभाव होती है हम नित्य नहीं है तुम हि नित्य हो जगत जननी हो प्रकृतिक और सनातनी देवी भगवानः शंकर ने कहा यदी भगवान बरमभा तथा भगवान तुमही से उत्पन्न हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने बाला मैं तमोगुणी लिला करने बाला शौकर क्या तुम्हारा संतान नहीं हुआ मुझे भी उत्पन्न करने बाली तुम्ही हो 



ईस संसार में तुम्हारे गुण सदा सर्वदा है ईन्ही तिनो गुनो से उत्पन्न हम बरम्भा विष्णु शंकर नियामानुसार  कार्य में तत्पर रहते हैं 


प्रभाव से जन्मवान है नित्य नहीं है हम अविनाशी नहीं है फिर अन्य दुसरे देवता किस प्रकार नित्य हो सकता है तुम ही अविनाशी हो हम सर्व कि जननी उत्पन्न करने वाली माता हो प्रकृतिक तथा सनातनी हो 


भगवान शंकर बोले हे माता यदि हमारे उपर आप दयायुक्त हो तो मुझे तमो गुण क्यो बनाया कमल से उत्पन्न बर्मभा को रजो गुण किस लिए बनाया तथा


विष्णु के सत गुण क्यो बनाया जीवो के जन्म मृत्यु रुषी दुष्कर्म मे क्यो लगाया 




अपने पति काल भगवान के सदा भोग विलाश करती रहती हो आपकी गती कोई नहीं जानता 





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