सुखी जिवन का रहस्य  अगर आप ईस सबाल का जबाब चाहते है। तो आपको ईसे पढना चाहिये जिवन बहुत लम्बा होता अगर उसके सत्य को स्वीकार लीया जाए जिवन क्षन भर मे बित जाता है।  ईस पोस्ट को पढ कर ईसका महत्ब समझ मे आ जायगा आपको पता चलेगा कि जिवन का  अमुल्य ग्याण भी कभी कभी छोट से साघारण ईंसान से मिल जाता है। कभी कभी छोटे मुलाकात भी जिवन को बदल देता है। ग्याण होकर भी हमे कुछ पता नही चलता  सुखी जिवन का रहस्य एक महान सांत हुआ करते थे जो स्वय का आक्षम बनना चाहते थे जिसके लिय वो कई लोगो से मुलाकात करते थे एक जगह से दुसरे जगह जाना पडता था ईसी यात्रा के दोरान एक कन्या बिदुषी से हुई विदूषी ने उनका स्वागत किया और संत से कुछ समय रूक कर आराम करने का आगरा किया संत उनके मिठे बोल बिचार से रूकने का निर्नय लिया  विदुषि ने अपने हाथो का स्वादिस्ट भोजन कराया और उनके अराम करने का बेबस्ता किया खटियाँ पर दरी बिछाया और अपने जमिन पर चटाई बिछा कर शो गई विदुषी को सोते हि निंद आ गईऋ

हम अपको जिंदगी की कुछ कडबा सच?

 हम अपने जिंदगी में इंसान कि बहुत अहमियत देते?

                 

हम सब को देनी भी चाहिए  क्यो कि एक इंसान दुसरे इंसान कि अहमियत जानता है इंसान  को अपना जीवन अपनी मरजी से जिनी चाहिए क्यो की जिंदगी बार बार नहीं मिलती इस लिए हम सब को एक दुसरे को इज्ज़त करनी चाहिए लेकिन इस जुग में इंसान इंसान से प्यार नहीं करता बलकी घन से करता है। 



                  
मरते समय 

  जब कोई इंसान दुनिया से बिदा होने लगता है। तो तूरंत उसके कपड़े उसका बिस्तर उसके द्वारा  इस्तेमाल किया हुआ सभी समान उसी के घर से निकाल दिए जाते है पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया घन दौलत उसका पैसा उसके जेवरात आदि ईन सव को क्यो छोड़ते है बलिक गले का हार सोने का अंगूठी भी खिचकर निकाल लिया जाता है इससे क्या पता चलता है कि रिश्ते किन चिजे से था लेकिन आपके द्वारा कमाया हुआ पूण्य परोपकार आपका नाम इसे कोई नहीं छीन सकता इस लिए दोस्तों 



हाड जले ज्यूँ लडकी केस जले ज्यूँ घास। कंचना जैसी काया जल भई कोई ना आया पास इस लिए मित्रों ऐसा काम करो कि मरने के बाद लोग तुम्हारे घन के कारण नहीं मन के कारण नाम ले 

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